Fitter ITI परिचय और सुरक्षा (Introduction and Safety)

Fitter ITI 
 परिचय और सुरक्षा (Introduction and Safety)

Fitter ITI   परिचय और सुरक्षा (Introduction and Safety)


Fitter कीसे कहतें हैं? :-

बड़े और छोटे दोनों प्रकार के उद्योगों में विभिन्न प्रकार के मशीनी पार्टी बनायें जातें हैं जिनकों प्राय: कारीगर अपनी-अपनी मशनों पर बनाते हैं। ये कारीगर प्रायः लेथ, मिलिंग, शेपर, स्लॉटर, ग्रांइडर आदि मशीनों पर कार्य करते हैं। एक ही पार्टी पर प्राय: कई प्रकार की कार्य-क्रियायें करनी होती हैं
जिन्हें अलग-अलग मशीनों पर लगे हुए कारीगरों के द्वारा बनाया जाता है।
किसी असेम्बली या मशीन के जब सभी पार्ट्स बन जाते हैं तो उन्हें चैक करने के बाद दूसरे प्रकार की कारीगरों के पास भेज दिया जाता है जिन्हें ‘फिटर’ कहते हैं।
वर्कशाप में कई प्रकार के फिटर होते हैं

Fitter के प्रकार :- 1) बेंच फिटर 2) असेम्बली फिटर 3) इरेक्शन फिटर आदि।

1) बेंच फिटर :- 

                     बेंच फिटर एक ऐसा कारीगर है जो कि लगभग 75% कार्य हैंड टूल्स की सहायता से बेंच पर और 25% कार्य मशीनों के द्वारा करता है।
एक कुशल बेंच फिटर को फिटिंग के बारे में उपयुक्त जानकारी होनी चाहिए। 
प्रयोग लाये जाने वाले हैंड टूल्स, सूक्ष्ममापी यंत्रों और मशीनों की पूर्ण जानकारी अर्थात इनके प्रकार, साइज, पार्ट्स, धातु, प्रयोग की विधि, मेन्टिनेंस आदि का ज्ञान होना चााहिए। 
कुशल फिटर को कई बेसिक कार्य-क्रियाओं को करने के लिए निपुण होना चाहिए जैसे–मार्किंग, फाइलिंग, हेक्साइंग, चिपिंग, स्क्रेपिंग, ड्रिलिंग, रीमिंग, वेल्डिंग, रिवटिंग, सोल्डरिंग, ब्रेजिंग, सामान्य फोर्जिंग कार्य क्रियायें, सामान्य शीट मेटल कार्यक्रियायें, सामान्य लेथ इत्यादी से निपुण होना चाहिए। 

BENCH FITTER, BENCH VISE ITI


सुरक्षा (Safety) :- 

                           एक सुरक्षित स्थिति तब होती है जब क्षति या सम्पत्ति का नुकसान बहुत कम होता है और उसे सहा जा सकता है।

सुरक्षा एवं सावधानियां (Safety Precautions) :- 

                                                                       “सावधानी हटी और दुर्घटना घटी” इसे प्रत्येक श्रमिक को सदैव याद रखना चाहिए।
एक छोटी सी गलती बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
इससे मशीन को हानि, उत्पादन पर असर और कभी-कभी श्रमिक की जान का खतरा भी हो जाता है। इसलिए वर्कशाप में सावधानी का बहुत बड़ा महत्व है।
सुरक्षा एक क्रिया है जो हमारी सभी क्रियाओं को ऐसे व्यवस्थित और नियंत्रित करती है कि न तो हम स्वयं दुर्घटना के शिकार होते हैं और न ही अन्य लोग इससे प्रभावित होते हैं। अतः एक अच्छे कुशल कारीगर को सुरक्षा की जानकारी होती है। वह सुरक्षित और स्वीकृत कार्य विधियों को जानता है और उसे व्यवहार में लाता है।

दुर्घटनाओं के कारण (Causes of Accidents) :- 

 1) श्रमिक की अज्ञानता
2) श्रमिक की लापरवाही
3) श्रमिक की कार्य में अरूचि
4) श्रमिक का कार्य में अधिक आत्मविश्वास
5) मशीन की खराब दशा
6) श्रमिक की अपनी स्वयं की और मशीन की क्षमता की अपेक्षा अधिक जल्दी कार्य करने की इच्छा
7) औजारों की खराब दशा
8) श्रमिक की मानसिक दशा ठीक न होना
9) श्रमिक द्वारा कार्य करने की ठीक विधि न अपनाना
10) श्रमिक द्वारा कार्य के अनुसार उचित औजारों का प्रयोग न करना
11) श्रमिक की पोशाक ठीक न होना
12) मशीन के गतिशील पुर्जी जैसे गियर, बेल्ट, पुली आदि पर गार्ड (guard) का प्रयोग न करना
13) उत्पादित पूर्जो को सही स्थान पर न रखना
14) वर्कशाप में बिजली और लाइट की व्यवस्था ठीक न होना

सुरक्षा नियम (Safety Rules) :-

1) यदि किसी कारणवश दुर्घटना हो जाये तो उसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारी को शीघ्रता से देनी चाहिए।
2) सीढ़ी का प्रयोग करने के लिये उसे धरातल पर अच्छी तरह से टिकाकर प्रयोग में लाना चाहिए
3) वर्कशाप के फर्श पर तेल या ग्रीस आदि फैलने नहीं देना चाहिए।
4) बिना मशीन के जानकारी के किसी भी मशीन को छूना या चालू नहीं करना चाहिए।
5) वर्कशाप में कार्य करते समय आंखों के सुरक्षा के लिये सुरक्षा चश्मा और पैरों के बचाव के लिये मोटे तलों वाले तेल प्रतिरोधी जूते पहनने चाहिए।
6) वर्कशाप में कार्य करते समय किसी भी कारीगर को अंगुठी, घड़ी, कडा, मफलर और टाई आदि नहीं पहननी चाहिए।
7) किसी भी कारीगर के बाल लंबे है तो कार्य करते समय सुरक्षा टोपी पहन कर उन्हें आवृत कर लेना चाहिए।
8) कार्य करते समय प्रत्येक कारीगर को वर्कशाप की चुस्त फिटिंग वाली पोशाक पहननी चाहिए। कार्य करते समय लंबी आस्तीनों वाले कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
9) अपने कार्य स्थल को साफ सुतरा रखना चाहिए।
10) श्रमिक को अपने कार्य के लिये पूर्ण जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। यदि कोई संदेह हो तो वरिष्ठ अधिकारी से तुरंत पूछ लेना चाहिए।

हस्त औजार सुरक्षा (Safety with Hand Tools) :- 

1) सूक्ष्ममापी यंत्रों को हस्त औजारों के साथ नहीं रखना चाहिए
2) स्टील रूल का उपयोग पेंचकस की तरह नहीं करना चाहिए।
3) पेंचकस द्वारा पेंच को कसने या खोलने के लिये जॉब को हाथ में नहीं पकड़ना चाहिए।
4) सदैव साइज के अनुसार स्पेनर का प्रयोग करना चाहिए। 
5) रेती का प्रयोग उत्तोलक (Lever) की तरह या हथौड़े की तरह नहीं करना चाहिए।
6) छत्रक मत्थे (Mushroom Head) वाली छैनी या पंच का उपयोग नहीं करना चाहिए। 
7) टूटे या ढीले हत्थे वाले हथौड़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
8) बिना दस्ते (Handle) की रेती का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
9) खराब औजारों या टूल को प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
10) क्रिया के अनुसार सही औजारों का प्रयोग करना चाहिए

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सुरक्षा एवं सावधानियां One liner Hindi

भार उठानें के लियें सुरक्षा (Safety for Lifting Loads) :- 

1) किसी वस्तु का स्थानान्तर करने से पहले रास्ते के फर्श पर फिसलने वाले भागों को भली भाँति साफ कर लेना चाहिये और बाधा उत्पन्न करने वाले पदार्थों को पूरी तरह हटा देना चाहिये।
2) सदैव उचित प्रकार का भार उठानें वाला साधन (Lifting Device) उपयोग में लाना चाहिये। 
3) किसी भी भार को उचित ढंग से उठाने के लिये भार के जितने नजदीक हो सके उतना नजदीक झुकना चाहिये, अपनी पीठ को सीधा रखना चाहिये और भार को मजबूती से पकड़ कर टांगो को सीधा करते हुए उठाना चाहिए।
4) उठाकर ले जाने वाली सामग्री का सुरक्षापूर्ण संचालन (movement) करने में कुछ कठिनाई अनुभव होने पर अपने साथी से तुरंत सहायता मांग लेनी चाहिए
5) किसी ऐसे बोझ को उठाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिये जिससे शरीर की नसों पर तनाव आने की संभावना हो।

मशीन से सुरक्षा (Safety with Machines) :- 


1) मशीन पर कार्य करने से पहले यह जानकारी हासिल करना आवश्यक है कि वह किस बटन (switch) से चालू होती है और किससे बंद होती है।
2) मशीन पर कार्य करते समय छीलन (Chips) को कभी भी हाथ से साफ नहीं करना चाहिये।
3) चालू मशीन को  कभी भी साफ करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिये।
4) यदि कार्य करते समय कुछ खराबी आ जाये तो मशीन का बटन (Switch) तुरन्त बंद कर देना चाहिये।
5) मशीन पर कार्य करते समय सुरक्षा चश्मा पहनना आवश्यक है।

विद्युत पॉवर से सुरक्षा (Safety with Electric Power) :- 

1) बिजली की नंगी तारों को उपयोग में नहीं लाना चाहिए
2) यदि बिजली की पॉवर में कोई खराबी दिखाई दे तो उसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारी को देनी चाहिए।
3) यदि बिजली का प्लग या तार टूट जाये तो उन्हें बदलवा लेना चाहिये। 
4) केवल कुशल बिजली मिस्त्री को ही बिजली सुधारने करने की अनुमति देनी चाहिए।
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