हैमर (Hammer) :-
वर्कशॉप में कार्य करते समय कारीगर को भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं और प्रायः ऐसे भी कार्य करने पड़ते हैं जिन पर ठोंक-पीट करनी होती है। इसलिए चोट लगाने वाले औजार की आवश्यकता पड़ती है जिसको 'हैमर' कहते हैं। इसकी बनावट में एक सिरे पर पेन तथा दूसरे पर फेस और बीच में आई होल बना होता है जिसमें एक हैंडल लगाया जाता है। हैमर प्रायः हाई कार्बन स्टील से बनाये जाते हैं और इसके फेस और पेन को हार्ड व टेम्पर कर दिया जाता है। हैमर का वर्गीकरण उसके पेन के आकार और इसकी तोल के अनुसार किया जाता है। हैमर के निम्नलिखित मुख्य पार्ट्स होते हैं (i) पेन (Pane) (ii) फेस (Facel (iii) आई होल (Eye hole) (iv) हैड (Head) (v) हैंडल (Handle) (vi) केज (Wedge) प्राय: निम्नलिखित प्रकार के हैमर प्रयोग में लाये जाते हैं
बॉल पिन हैमर (Ball Pein Ham mer) :-
क्रॉस पिन हैमर (Cross Pein Hammer) :-
स्ट्रेट पिन हैमर (Straight Pein Hammer) :-
सॉफ्ट हैमर (Soft Hammer) :-
हैमर हैंडल (Hammer Handle) :-
हैमर का हैंडल लकड़ी का बनाया होता है। क्योंकि लकड़ी में थोड़ा-सा स्प्रिंग एक्शन होता है और झटकों को सहन कर लेती है। प्राय: हिकरी वुड (Hidkary Wood] अकारिया (बिना गांठ वाली) का प्रयोग हैमर का हैंडल बनाने के लिए किया जाता है। साधारण कार्यों के लिए हैमर के हैंडल की लंबाई 25 सेमी से 32.5 सेमी होनी चाहिए और स्लैज हैमर के लिए हैंडल की लंबाई 60 सेमी. से 90 सेमी. होनी चाहिए।
हैमर से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य :-
हैमर का आई होल अण्डाकार आकार का होता है तथा सेंटर की ओर "टेपर' होता है। हैमर के हैंडल को हैड के नजदीक से पकड़ने को चोकिंग (choking) कहते हैं। . हैमर के स्टाइकिंग फेसों की हार्डनेस 49से 56HRC तक होनी चाहिए। अच्छे हैमर्स का उत्पादन ड्रॉप फोर्जिग द्वारा करते हैं। '
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